फाजिलका-(दलीप दत्त)- एनएचएम इंप्लाइज यूनियन की एक बैठक सिविल अस्पताल मालेरकोटला में आयोजित हुई। जिसमें पंजाब सुबार्डीनेट सर्विस फैडरेशन मुख्य कार्यालय चंडीगढ़ के प्रांतीय प्रधान रणजीत सिंह विशेष तौर पर उपस्थित रहे। बैठक में प्रांतीय प्रधान डा. वाहिद मुहम्मद, प्रांतीय महासचिव जोगिंद्र सिंह, जिला प्रधान सुखजिंद्र सिंह, जिला महासचिव रविंद्र शर्मा, डीपीएस अवतार सिंह, डीपीएम राजेश कुमार, डीपीएम कुलवंत सिंह, जिला प्रधान नैशनल हैल्थ मिशन रविंद्र कंबोज व अरविंद्र कुमार उपस्थित रहे। बैठक में नेताओं ने कहा कि सेहत विभाग में राष्ट्रीय सेहत मिशन के तहत 10-15 वर्षो से कार्य करते कर्मचारी डारक्टर, आयुष, दफ्तरी स्टाफ, पैरा मेडिकल स्टाफ, स्टाफ नर्सों, एएनएम व सीएचओ आदि कम वेतन पर सरकारी शोषण का शिकार हो रहे हैं। इस मौके नेताओं ने पंजाब सरकार से मांग की कि अन्य विभागों के 35 हजार कर्मचारियों को पक्का करने के फैसले के तहत सेहत विभाग में राष्ट्रीय सेहत मिशन के तहत कम वेतन पर कार्य कर रहे 12 हजार के करीब कर्मचारियों को पक्का करने पर विचार विमर्श किया जाए। इस मौके रणजीत सिंह व डा. वाहिद ने बताया कि पिछली सरकारों द्वारा केंद्रीय स्कीम पंजाब आईसीटी शिक्षा सोसायटी के तहत कार्य करते हुए कंप्यूटर अध्यापकों को इस स्कीम के तहत पक्का किया गया है। उसी तर्ज पर राष्ट्रीय सेहत मिशन के तहत कार्य कर रहे समूह कर्मचारियों को पक्का किया जाए। जब तक पक्का करने में देरी होती है, तब तक रेगुलर वेतन स्केल या बराबर कार्य बराबर वेतन का सिद्धांत लागू किया जाए, जैसे पड़ौसी राज्य हरियाणा द्वारा किया गया है। नेताओं ने कहा कि इन कर्मचारियों ने कम वेतन लेने के बावजूद कोविड-19 महामारी के दौरान रेगुलर कर्मचारियों की तरह कार्य करते हुए अपनी डयूटियां निभाई। अब फिर से कोरोना का खतरा मंडरा रहा है, इसलिए राष्ट्रीय सेहत मिशन के तहत के तहत डयूटी निभा रहे कर्मचारियों के साथ इंसाफ किया जाए। उन्होंने बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ उनकी चंडीगढ़ में स्थित रिहायश पर पंजाब सुबोर्डिनेट सर्विस फैडरेशन के साथ तय बैठक में इन कर्मचारियों का मामला सरकार के ध्यान में लाया जाएा।